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भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास सुनते ही मूर्छित हुए राजा दशरथ

खबर उत्तराखंड 24... मुकेश रावत 


भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास सुनते ही मूर्छित हुए राजा दशरथ 


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 अशोकनगर में देवभूमि श्री राम धार्मिक एवं सांस्कृतिक ट्रस्ट की और से आयोजित पर्वतीय समाज की रामलीला में चौथे दिन उमडी लोगों की भीड़ 




रुड़की अशोक नगर शिवाजी कालोनी में देवभूमि श्रीराम धार्मिक एवं सांस्कृतिक ट्रस्ट की और से आयोजित पर्वतीय परंपराओं से प्रेरित रामलीला के चौथे दिन की लीला शुभारम्भ  समाजसेवी बलवंत सिंह रावतअतिथियों द्वारा फीता काटकर किया गया! जिसके बाद आरती और पूजन किया गया! इस दौरान अतिथियों ने सनातन धर्म को आगे बढ़ाने पर जोर दिया  और लोगों को रामलीला में बढ़-चढ़कर भाग लेने के साथ  प्रभु राम के आदर्शों पर चलने के लिए प्रेरित किया। चौथे दिन की लीला का शुभारंभ प्रभु राम की बारात ढोल नगाड़ों के साथ जनकपुरी पहुंचती है ! जहां पंडित द्वारा मंत्रो उच्चारण के साथ सीता और राम का विवाह संपन्न कराया जाता है। राजा दशरथ अपने बूढ़ेपन का हवाला देते हुए पूरी सभा से सहमती लेते हुए कहते हैं कि अब राम को राज गद्दी सौंप देनी चाहिए। जिसका पूरा मंत्रिमंडल करतल ध्वनि से स्वागत करता है।  मंत्री सुमंत पूरी अयोध्या नगरी में ढोल नगाड़ों के साथ घोषणा करवाते हैं कि कल  राम का राजतिलक होगा। 

कैकई की दासी मंथरा को जब इस बात का पता चलता है। तो वह केकैई रानी को बहका देती है। और कभी राजा दशरथ के द्वारा दिए गए दो वरो को याद दिला कर उनके बदले में केकैई  से कहती है। एक वर से राम को 14 वर्ष का वनवास तथा दूसरे वर से भरत को राजगद्दी की मांग की जाए। वरना भरत जिंदगी भर चाकरी करता रह जाएगा। 

मंथरा की बात से भ्रमित होकर केकैई कोप भवन में चली जाती है। राजा दशरथ को जैसे ही पता लगता है की रानी कोप भवन में बैठी है। तो वह उससे उसकी नाराजगी का पता जानना चाहते हैं। रानी पहले राजा दशरथ को वचनवद्व  कर देती है। राजा कहते हैं रघुकुल रीत सदा चली आई । प्राण जाए पर वचन न जाए । जैसे ही दशरथ इन वचनों को कहते हैं रानी उनसे दो वर मांग लेती है। एक से भरत को राजतिलक और दूसरे से राम को 14 वर्ष का वनवास। यह सुनते ही राजा दशरथ मूर्छित हो जाते हैं और अपने होश हवास खो देते हैं। बहुत समझाने पर भी जब रानी नहीं मानती। तो उन्हें उनकी बात माननी पड़ती है। राजकुमार राम जब माता के पास आते हैं तो  माता उनसे कहती है कि आपको पिता ने 14 वर्ष का वनवास दे दिया है तो राम उसे सहर्ष  स्वीकार कर लेते हैं। और कहते हैं यह तो मेरा सौभाग्य होगा कि मुझे अपने पिता की आज्ञा का पालन करने का अवसर मिला। 

लक्ष्मण को  इस बात का पता लगता है कि भाई राम को बिना वजह बनवास भेजा जा रहा है। तो वह आग बबूला हो जाता है। और भरत को मजा चखाने की बात करने लगता है! जिससे राम उसको धैर्य से काम लेने की बात कहते हैं और उसे समझाते हैं!  पिता की आज्ञा का पालन करना ही हमारा धर्म है। सीता माता भी राम के साथ जाने की जिद करती हैं और कहती है मेरा स्वर्ग वही है जहां मेरा पति है! चाहे वह किसी भी हाल में हो मेरा धर्म उनकी सेवा करना है! इसलिए मैं अवश्य आपके साथ वन को जाऊंगी। लक्ष्मण भी हट करके वन जाने की तैयारी करते हैं। तीनों माताओं और पिताजी से आज्ञा लेकर राम अपने भाई लक्ष्मण तथा पत्नी सीता के साथ राजसी वस्त्र उतार कर वनकल पहन कर जंगल की ओर प्रस्थान करते हैं।

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इन्होने किया लीला में पात्रों का रोल राम  हरदीप, लक्ष्मण आयुष, मंथरा पवित्री देवी,

सीता अलका, सुनैना सुनीता कुमाई, जनक ठाकुर सिंह रावत , नारद कुंवर सिंह चौधरी,दूत मातवर  सिंह नेगी,  मंत्री रोहन, विश्वामित्र प्रेम सिंह राणा, सुमंत विनोद जख्वाल, राजा दशरथ जगदीश सिंह नेगी, कौशल्या कुमारी रिया, कैकई कुमारी रितु,  सुमित्रा कुमारी बबिता, बांदी कृतिका, वशिष्ठ मुनि मनोज भारद्वाज, सभासद खुशीराम बंगवाल, ने अपने-अपने अभिनय का बहुत ही सुंदर रोल निभाया! 

इस मौके पर सभासद विजय सिंह पवार, आदर्श शिवाजी नगर अध्यक्ष रविंद्र पंवार, गंगा सिंह बिष्ट मंडल मंत्री, दिगंबर सिंह नेगी संयोजक, संरक्षक राजेंद्र सिंह रावत, सतीश सिंह नेगी अध्यक्ष नगर पंचायत ढंडेरा, जगदीश सिंह नेगी, सुरेंद्र सिंह नेगी, बलवंत सिंह रावत, राजेंद्र सिंह रावत, बलवीर सिंह रावत, हयात सिंह रौथाण, गोपाल दत्त मैंदोला, आनंद सिंह रावत, त्रिलोक सिंह रावत, हरेंद्र सिंह बिष्ट, ताजबर सिंह रौथाण, आशा देवी, महेश्वरी देवी, सरोज बड़थ्वाल, रजनी कुलाश्री,  सुनीता कुमाई, सुनीता नेगी, सिद्धि देवी बिष्ट, चिंतामणि जख्वाल, अजय कुमार, चंद्र वल्लभ बड़थ्वाल, सुरजीत सिंह नेगी, ममता नेगी, सुरेंद्र सिंह बिष्ट, सुदर्शन डोबरियाल, राजेंद्र प्रसाद खंकरियाल, विक्रम कुलाश्री, मनोज भारद्वाज दिव्यांशु अभिनव जसराम ढौडियाल, लक्ष्मण सिंह नेगी, राधा , ललित रावत , रमेश सोन, आरव अर्णव अंशुल देवासी मानवी, आसी, हिमांशु,  शिवाजी कॉलोनी बी ब्लॉक कीर्तन मंडली और अशोकनगर शिव शक्ति कीर्तन मंडली गली नंबर 1 के सदस्य आदि उपस्थित रहे।

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